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राहु-केतु परिवर्तन – कर्क राशि 

होगी कर्म में वृद्धि

बनेगी लाभ की स्थिति

 

नमस्कार!

मै एस्ट्रो गुरुमाँ डा. ज्योति जोशी आप सभी ज्योतिष प्रेमी एवं अध्ययनकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करती हूँ. ग्रहों का होनेवाला राशि परिवर्तन एवं उनके प्रभावोओं का विश्लेषण हम सदैव समय समय पर करते ही रहते है. उसके अनुसार आनेवाले अप्रैल महीने में १२ तारीख को जो राहु और केतु ग्रह का परिवर्तन होनेवाला है, उसका अब हम अध्ययन करनेवाले है. राहु ग्रह वृषभ राशि से मेष राशि में और केतु ग्रह वृश्चिक राशि से तुला राशि में प्रवेश करनेवाला है. इस राशि परिवर्तन का क्या प्रभाव रहेगा? इसका हम राशि के अनुसार विश्लेषण एवं अध्ययन करेंगे. आजके भाग में हम कर्क राशि पर इस परिवर्तन का क्या प्रभाव रहेगा? इसे विस्तार से समझनेवाले है. #astroguruma

राहु और केतु के राशि परिवर्तन का परिणाम, उसके महत्व को यदि समझना है, तो सबसे पहले इन दोनों ग्रहों की जानकारी को समझना हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है. राहु जातक को जीवन की सभी सुख सुविधा प्रदान करता है तो उन सभी से जातक को दूर ले जाने का काम केतु करता है. राहु वर्तमान है तो केतु भूतकाल है. राहु भौतिकता है तो केतु आध्यात्म है. यह दोनो ग्रह १८० अंश पर बैठकर मनुष्य को कौनसी दिशा में श्रम करने चाहिए, इसका मार्गदर्शन करते है. सबसे महत्त्व बात है कि यह दोनों ग्रह सदैव वक्री अवस्था में होते है. क्योंकि वह बिंदू माने जाते है और वे सदैव पिछली राशि में प्रवेश करते है. वे कभी भी मार्गी अवस्था में नहीं होते है. एक और महत्वपूर्ण बात है कि इन दोनों ग्रहों को स्वयं की राशि नहीं है. लेकिन कुंडली में जिस राशि में विराजमान होते है, उस राशि के स्वामी के अनुसार फल देने की वृत्ति और प्रवृत्ति तयार होती है. सामान्य रुप से देढ़ वर्ष के बाद यह दोनों ग्रह राशि परिवर्तन करते है. इसलिए स्वाभाविक रुप से उनका प्रभाव देढ़ वर्ष तक रहता है. इस कारण से भी उनका राशि परिवर्तन महत्त्वपूर्ण होता है. सभी ग्रहों में शनि को धीमा ग्रह कहा जाता है. शनि एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक विराजमान रहता है. उसके बाद राहु और केतु यह दोनों ग्रह देढ़ वर्ष तक एक राशि में विराजमान रहते है. इसीलिए, उनका प्रभाव दीर्घकाल तक रहता है और इसी कारण से वह मुख्य रुप से सामने आता है.

किसी जातक की कुंडली के लग्न स्थान या चंद्रमा के साथ राहु ग्रह विराजमान हो या राशि स्वामी के साथ राहु विराजमान हो, तो ऐसे जातक को विश्व की हर चीज प्राप्त करनी होती है. हर जगह सफलता प्राप्त करना, लगातार कार्यान्वित रहना, साम, दाम, दंड, भेद नीति का उपयोग करना, इच्छित चीज प्राप्त करने के लिए कुछ भी करने की मानसिकता रखना, उसके लिए बहुत परिश्रम करने की तैयारी राहु जातक को प्रदान करता है. इसके बिलकुल विपरीत स्थिति केतु के साथ होती है. अर्थात, केतु यदि लग्न स्थान में हो, राशि स्वामी के साथ हो तो वह जातक को कहीं न कहीं निराशा देता है. विषय को छोड़ देना, अधिक परिश्रम न करना, भाग्य में होगा तो मिलेगा, ऐसी कुछ भूमिका जातक की होती है. यह मुख्य विरोधाभास राहु और केतु इन दो ग्रहों के प्रभावों में दिखाई देता है. #astrogurudrjyotijoshi

राहु का अर्थ है कि किसी चीज को प्राप्त करने के लिए आवश्यक उतने परिश्रम करके उस चीज को प्राप्त करना होता है. किसी चीज को शिघ्र से शिघ्र प्राप्त करना, भौतिक सुखों का पूरा उपभोग लेना, राहु के कारकत्व में आता है. इसीलिए आज की २१ वी सदी में, आज के आधुनिक युग में राहु का महत्त्व अधिक है. केतु यह ग्रह इसके बिलकुल विपरीत प्रभाव को दर्शाता है. वह मुक्ती का, मोक्ष का कारक ग्रह माना जाता है. मनुष्य को आध्यात्म के पथ पर ले जाने का काम केतु करता है. किसी जातक की कुंडली में केतु प्रबल हो, तो जातक संसार से, जीवन की सभी मोहमाया से दूर जाता है. वह सभी से अलिप्त रहता है और मोक्ष की ओर आगे बढ़ता है. इसीलिए केतु के महत्त्व को भी नाकारा नहीं जा सकता है. क्योंकि मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष होता है. तो ऐसे राहु और केतु का १२ अप्रैल को राशि परिवर्तन होनेवाला है. राहु ग्रह वृषभ राशि से मेष राशि में और केतु ग्रह वृश्चिक राशि से तुला राशि में प्रवेश करेगा. उनके इस परिवर्तन का कर्क राशि पर क्या परिणाम होगा? इसे अब हम विस्तार से समझनेवाले है.

      कर्क राशि की दृष्टि से विचार करें तो गत तीन वर्षों में राहु की स्थिति अत्यंत प्रबल थी. अर्थात, मिथुन राशि में वह अत्यंत प्रबल था. उसके बाद वृषभ राशि उसके मित्र अर्थात शुक्र की राशि होने के कारण वहाँ भी राहु अत्यंत प्रबल अवस्था में था. संभ्रम, फंसाने के सभी ऐतिहासिक विक्रम राहु की कृपा से तुट गए है. अब राहु सेनापती के घर में अर्थात मंगल की मेष राशि में प्रवेश करेगा. जिसके कारण सारे भ्रम तुटकर सत्य सभी के सामने आएगा, ऐसा हम कह सकते है. अर्थात, गत तीन वर्षों में जो भ्रम का साम्राज्य फैला हुआ था वह समाप्त हो जाएगा. क्योंकि राहु जब सेनापति के घर में प्रवेश करेगा तो वह सेनापति द्वारा पराजित होगा, ऐसा हम कह सकते है. जिसके कारण सत्य विश्व के सामने आएगा. कर्क राशि के दशम स्थान में राहु का आगमन होगा. जो आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. क्योंकि कुंडली का दशम स्थान उपचय स्थान होने के कारण वह राहु को विशेष रुप से अच्छा लगता है. लेकिन मंगल और राहु इनमें प्राकृतिक शत्रुता है. परिणाम स्वरुप, यहाँ राहु का बल कम होगा और मंगल का बल बढ़ेगा. क्योंकि राहु मंगल की मेष राशि में प्रवेश करेगा और मंगल गोचर द्वारा अत्यंत प्रबल स्थिति में होगा. आनेवाले अप्रैल महीने में सभी ग्रह राशि परिवर्तन करनेवाले है. जिसके अनुसार मंगल का भी परिवर्तन होगा और वह अत्यंत प्रबल हो जाएगा. कुल मिलाकर, दशम स्थान में आनेवाला राहु कर्क जातकों को कर्म प्रधान बनाएगा.

राहु-केतु के बाद १३ अप्रैल को गुरु महाराज भी राशि परिवर्तन करनेवाले है. वे आपके भाग्य स्थान में प्रवेश करेंगे. उसके बाद २९ अप्रैल को शनि महाराज भी राशि परिवर्तन करनेवाले है. यह बदलाव भी हम राशि के अनुसार विस्तार से आपको बतानेवाले है. लेकिन जब हम आपके राशि का विचार करते है, तो हर गोचर का, हर परिवर्तन का आप पर निश्चित रुप से प्रभाव होगा. साथ ही राहु परिवर्तन का प्रभाव बताते समय गुरु और शनि के परिवर्तन के प्रभावों का विचार करना आवश्यक होता है. जैसा हमे ज्ञात है कि राहु को तीन दृष्टियाँ होती है और उनका भी बहुत बड़ा प्रभाव होता है. उसके अनुसार राहु की पंचम दृष्टि धन स्थान पर, सप्तम दृष्टि आपके चतुर्थ स्थान पर और नवम दृष्टि आपके षष्ठ स्थान पर होगी. कुल मिलाकर, आपके दशम स्थान पर आनेवाला राहु कहीं न कहीं आपके लिए सफलता के द्वार खोलेगा. गत तीन वर्षों में आपने जो संघर्ष किया है, उससे अब आपकी मुक्ति होगी. उससे बाहर निकलकर, उन्नति की ओर बढ़ने का यह समय रहेगा. #drjyotijoshi

संक्षेप में, कहा जाए तो, आनेवाले देढ़ वर्ष में आपके कर्म समृद्ध होनेवाले है. विशेष रुप से जब भाग्येश भाग्य स्थान में हो और उसी समय दशम स्थान में प्रवेश करनेवाला राहु आपको अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा. आपको वह कर्म प्रधान करेगा. शत्रुओं पर आप विजय प्राप्त करोगे. प्रतिस्पर्धियों को आप पीछे छोड़ देंगे. यह भले ही सच हो, लेकिन पारिवारिक विवाद उत्पन्न होना, वास्तु के काम में विलंब होना, यह प्रभाव भी आप पर हो सकते है. क्योंकि राहु और केतु की एक विशेषता है कि वे भले ही सिर और शरीर है अर्थात एक ही शरीर के दोन भाग है,    लेकिन फिर भी, वह दोनों ग्रह एक ही समय पर शुभ या अशुभ हो नहीं सकते है. अर्थात, राहु शुभ स्थिति में हो, तो केतु से अशुभ परिणाम प्राप्त होते है. वैसे ही, केतु शुभ स्थिति में हो, तो जातक को राहु से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. उसमें भी राहु का शुभ होना, अधिक लाभकारी माना जाता है. क्योंकि राहु के स्थान के साथ उसकी तीन दृष्टियाँ भी महत्त्वपूर्ण कार्य करती है. उसकी तुलना में केतु के पास सप्तम यह केवल एक ही प्रभावशाली दृष्टि होती है. क्योंकि वह शरीर होने के कारण पंचम और नवम दृष्टि कार्य करते हुए नहीं दिखती है. इसीलिए, कुंडली में यदि राहु शुभ हो, तो वह अधिक लाभकारी माना जाता है. #drjyotijoshi

उसके अनुसार विचार करें तो कर्क जातकों के लिए राहु का यह राशि परिवर्तन अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. तो केतु का गोचर अशुभ फलदायी रहेगा. लेकिन उसके अशुभ परिणाम भी कम होेंगे. विशेष रुप से वास्तु, वाहन, माता का स्वास्थ्य आदि के संदर्भ में वह परिणाम होंगे. इस अवधि में आपके घर की सुखशांति कहीं खो जाएगी. लेकिन आर्थिक दृष्टि से विचार करें तो कर्क जातकों को इस अवधि में स्थैर्य प्राप्त होना, उन्नति होना, व्यावसायिक विकास होना या नौकरी में उन्नति के अवसर प्राप्त होने जैसे विभिन्न दृष्टियों से राहु का यह गोचर आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा. राहु जब मेष राशि में प्रवेश करेगा, तब १४ तारीख को रवि भी मेष राशि में प्रवेश करेगा. वहाँ एक ओर बात होगी कि राहु के अंश अधिक होंगे. क्योंकि वह वक्री अवस्था में भ्रमण करता है. अर्थात, अधिक अंश से कम अंश की ओर वह बढ़ते रहता है. साथ ही, रवि सदैव मार्गी अवस्था में रहता है. जिसके कारण स्वाभाविक रुप से रवि के अंश कम रहेंगे. परिणाम स्वरुप, वहाँ ग्रह युद्ध होगा. जिसमें रवि विजयी होगा. साथ ही, वह मेष राशि में उच्च अवस्था को प्राप्त होता है. जिसके कारण वह सभी राशियों के लिए अत्यंत लाभकारी रहेगा. राहु रवि को ग्रहण लगाने की क्षमता रखता है. भले ही यह सत्य हो, लेकिन ज्योतिष नियमों के अनुसार जब ग्रह युद्ध होता है, तब उसमें कम अंश वाला ग्रह विजयी होता है. यहाँ राहु का मार्गक्रमण रवि की ओर होगा और रवि का मार्गक्रमण राहु की ओर रहेगा. #astroguruma

एक और महत्त्वपूर्ण बात है कि इस ग्रह युद्ध में राहु शत्रु राशि और रवि मित्र की राशि उसमें भी अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेगा. जिसके कारण वह मूल स्वरुप से प्रबल अवस्था में रहेगा. यह प्रबल होनेवाला रवि विश्व से सामने सत्य को, वास्तव स्थिति को सामने लाने का काम करेगा. जो भ्रम का साम्राज्य फैला हुआ है वह सबकुछ बाहर निकलेगा. वैश्विक षडयंत्र की वास्तविकता सभी के सामने आएगी. सत्य सभी के सामने आएगा. इसे हम इस अवधि की अत्यंत शुभकारी बात कह सकते है. यह घटना १४ अप्रैल से १४ मई के बीच में हो सकती है. अर्थात, उसका अत्यंत शुभ प्रभाव सभी पर निश्चित रुप से होगा. उसमें कर्क जातकों को भी अत्यंत शुभ फल प्राप्त होंगे.

राहु-केतु के राशि परिवर्तन का कर्क राशि पर होनेवाला प्रभाव समझने के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त है, ऐसा मुझे लगता है. इसलिए आज के भाग में हम यहीं रुकते है. अगले भाग में अगली राशि पर होनेवाले प्रभावों का हम विस्तार से अध्ययन एवं विश्लेषण करेंगे. इसलिए अगले भाग में हम पूनश्च अवश्य मिलेंगे.

धन्यवाद!

 

शुभम भवतु!

अँस्ट्रोगुरु डॉ ज्योती जोशी

 

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