Skip to content
  • by
Home » गुरु परिवर्तन – मेष राशि

गुरु परिवर्तन – मेष राशि

प्रेम, सुखशांति संग संतुष्ठी

गुरु महाराज की कृपादृष्टी

 

नमस्कार!

मै एस्ट्रो गुरुमाँ डा.ज्योति जोशी आप सभी ज्योतिषप्रेमी एवं अध्ययनकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करती हूँ. ग्रह लगातार भ्रमण करते रहते है. गोचरद्वारा एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते है. उनका मनुष्य जीवन पर शुभ-अशुभ परिणाम होता है. ग्रहों के इन राशि परिवर्तनों का हम समय समय पर विश्लेषण कर उसके परिणामों से आपको अवगत करते है. उसके अनुसार आनेवाले अप्रैैल महीने में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन होनेवाला है. उनमें प्राकृतिक शुभ ग्रह माने जानेवाले गुरु महाराज का राशि परिवर्तन सभी राशियों के लिए विभिन्न दृष्टियों से शुभ रहेगा. क्योंकि वे मीन राशि में प्रवेश करनेवाले है जो उनकी स्वराशि है. १३ अप्रैल को गुरु महाराज का राशि परिवर्तन होगा. जिसके प्रभावों का अब हम राशि के अनुसार विश्लेषण करनेवाले है. उसमें आज के भाग में हम मेष राशि के लिए यह गुरु परिवर्तन कैसा रहेगा? इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे. #astroguru #drjyotijoshi #astrogurudrjyotijoshi #astroguruma #guruparivartan

उसे अधिक सखोलता के साथ समझने के लिए सबसे पहले गुरु ग्रह और उनके कारकत्व के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करना हमारे लिए आवश्यक है. मनुष्य जीवन में जीवकारक गुरु का अत्यंत महत्त्व बड़ा होता है. गुरु का अर्थ जीवन होता है. मनुष्य जीवन जहाँ से प्रारंभ होता है, वहीं से गुरु का कार्य भी प्रारंभ होता है. अर्थात मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यू तक गुरु का कार्य महत्त्वपूर्ण होता है. जब हम कुंडलियों का अध्ययन करते है, तब कई चीजें हमारे ध्यान में आती है. गुरु को जन्म, शिक्षा, विवाह, अर्थार्जन और मोक्ष का कारक ग्रह माना जाता है. संक्षेप में, मनुष्य जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण विभाग गुरु महाराज के अधिकार क्षेत्र में आते है. निसर्ग कुंडली का जब विचार करते है, तो भाग्य स्थान का स्वामीत्व गुरु के पास है. भाग्य, धर्म, लंबी यात्रा भाग्य स्थान से देखे जाते है. गुरु महाराज की धनु राशि निसर्ग कुंडली के भाग्य स्थान में आती है. परिणाम स्वरुप, इस स्थान का स्थायी स्वामीत्व गुरु के पास है. धर्म से जीवन व्यतीत करों और मोक्ष की ओर आगे बढ़ो, ऐसा वे हमें सूचित करते है. क्योंकि मोक्ष के स्थान का अर्थात कुंडली के द्वादश स्थान का स्वामीत्व भी उन्हीं के पास है. भाग्य स्थान में आनेवाली धनु राशि और व्यय स्थान में आनेवाली मीन राशि यह दोनों ही गुरु महाराज की राशियाँ है.

ऐसे गुरु महाराज निसर्ग कुंडली के चतुर्थ स्थान अर्थात कर्क राशि में उच्च अवस्था को प्राप्त होते है. कर्क मातृत्व को दर्शानेवाली राशि है. सुख, संतुष्ठी, शांति आदी सभी चीजें भी चतुर्थ स्थान से देखी जाती है. इसीलिए उसे सुखस्थान कहते है. मनुष्य अपने जीवन में जो भी कार्य करता है, जो भी चीज करता है, उस हर चीज के पीछे एक सुप्त इच्छा होती है, कि मेरा जीवन सुखशांति के साथ व्यतीत हो. पैसों के पीछे भागते समय, पढ़ाई करते समय, कर्तृत्व करते समय, विवाह करते समय मनुष्य के मन में कहीं न कहीं एक इच्छा अवश्य होती है कि, इसके बाद मेरा जीवन अच्छा हो. सुख से, शांति से, संतुष्ठी से मेरा जीवन व्यतीत हो. ऐसा यह सुख स्थान जो प्रकृती आपको जन्म के साथ ही प्रदान करती है, उस स्थान में गुरु महाराज उच्च अवस्था को प्राप्त होते है. क्योंकि आपका जीवन सुखशांति, संतुष्ठ, आनंदमय हो, तो गुरु महाराज को भी आनंद की प्राप्ति होती है. ऐसे गुरु महाराज १३ अप्रैल को कुंभ राशि से अपनी मीन राशि में प्रवेश करनेवाले है. उनके इस राशि परिवर्तन का मेष राशि पर क्या प्रभाव होगा? इसका अब अध्ययन करेंगे.

मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो, निसर्ग कुंडली के प्रथम स्थान में यह राशि आती है. मेष अग्नीतत्त्व की राशि है और मंगल ग्रह उसका स्वामी है. साहस, आक्रामक, कर्तबगार जैसे गुण इस राशि में समाविष्ठ होते है. मेष कुंडली के नवम और द्वादश का स्वामीत्व गुरु के पास होता है. अब वे राशि परिवर्तन कर मीन राशि में प्रवेश करेंगे. अर्थात मेष कुंडली के व्यय स्थान में उनका आगमन होगा. जैसे हमें पता है कि गुरु महाराज को कुल तीन दृष्टियाँ होती है और स्थान की तुलना में उनकी दृष्टि अधिक प्रभावशाली मानी जाती है. क्योंकि उनकी दृष्टि को अमृत दृष्टि कहा जाता है. उसके अनुसार व्यय स्थान से गुरु महाराज की पंचम दृष्टि चतुर्थ स्थान पर, सप्तम दृष्टि षष्ठ स्थान पर और नवम दृष्टि अष्टम स्थान पर होगी. जिसके कारण गुरु महाराज अपनी दो राशियाँ अर्थात, भाग्य और व्यय स्थान, उसके बाद चतुर्थ, षष्ठ और अष्टम ऐसे कुल पांच स्थान मेष राशि के लिए शुभ करेंगे. इन पांच स्थानों के कारकत्व के अनुसार मेष जातकों को अत्यंत शुभ परिणाम प्राप्त होंगे. #astroguru #drjyotijoshi #astrogurudrjyotijoshi #astroguruma #guruparivartan

वास्तव में, कुंडली के व्यय स्थान से अप्रत्याशित खर्च, हॉस्पिटल के खर्च, परदेशगमन जैसी चीजें देखी जाती है. कई बार कारागृह योग जिसे ज्योतिषीय भाषा में बंधन योग कहते है, वह भी व्यय स्थान से ही देखा जाता है. परिणाम स्वरुप, यह थोड़ा नकारात्मक स्थान माना जाता है. लेकिन आपके इस स्थान में अब गुरु महाराज का आगमन होगा. वहाँ वे स्वराशि में होंगे. जिसके कारण इस नकारात्मक स्थान से भी आपको शुभ परिणाम निश्चित रुप से प्राप्त होंगे. सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि, मेष जातकों का धार्मिक कारणों से बड़ा खर्च होगा और उससे आपको भरपूर लाभ की प्राप्ति भी होगी. क्योंकि कुंडली के व्यय स्थान से आध्यात्मिक उन्नति भी देखी जाती है. आप जब कोई धार्मिक कार्य करते है, धर्म के लिए, राष्ट्र के लिए जब आप कुछ अच्छा कार्य करने का प्रयास करते है, तो उसके शुभ फल आपको निश्चित रुप से प्राप्त होते है.

      एक और महत्त्वपूर्ण बात है कि गुरु महाराज आपके भाग्येश भी है. उसके अनुसार भाग्येश व्यय स्थान में होगा. उस दृष्टि से भी आपको शुभ फल प्राप्त होंगे. विशेष रुप से जिन मेष जातकों का व्यवसाय या नौकरी विदेश से संबंधित है, उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी. उन्हें विशेष लाभ यहाँ से प्राप्त होगा. इसलिए, जो जातक इन क्षेत्रों में कार्यरत है, उन्होंने इस चीज को पहले से ही ध्यान में लेते हुए अपने प्रयास, परिश्रम बढ़ाने चाहिए. तांकि अधिक से अधिक सफलता आपको प्राप्त हो सके. इसके बाद अब हम गुरु महाराज की दृष्टियों के प्रभावों का अध्ययन करेंगे.

जैसे मैने पहले भी कहाँ कि, व्यय स्थान से गुरु महाराज की पंचम दृष्टि आपके चतुर्थ स्थान पर होगी. इस दृष्टि के आपको अत्यंत शुभ फल प्राप्त होंगे. घर की सुखशांति बनी रहना, शुभ वास्तु योग का निर्माण होना, जैसे शुभ फल उससे निर्माण होंगे. खरीदी हुई वास्तु से सुख, समाधान की प्राप्ति होना, समृद्धि का आना, घर के सदस्यों में अच्छा वार्तालाप रहना आदि कई चीजें गुरु महाराज के शुभ दृष्टि से आपके लिए सकारात्मक होंगे. यहां तक कि जिन जातकों का गत कई दिनों से नया वाहन खरीदने के संदर्भ में विचार शुरु है, तो आपके लिए वाहन योग भी निर्माण होनेवाले है. अब होगा क्या कि गुरु महाराज आपके व्यय स्थान में विराजमान होंगे. वहाँ से वे आपको इन सभी चीजों के लिए बल प्रदान करेंगे. फिर चंद्रमा और शुक्र का गोचर जैसे जैसे बदलता जाएगा, वैसे वैसे आपके लिए वाहन योग निर्माण होंगे. साथ ही, आपका चतुर्थेश चंद्रमा होने के कारण चंद्रमा और गुरु में जब शुभ योग का निर्माण होगा तब आपके लिए वास्तु और वाहन के अत्यंत शुभ योग निर्माण होंगे. सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि इन शुभ योगों के मुहूर्त पर की गई खरीदारी से आपको लाभ के साथ समाधान भी प्राप्त होगा. यहाँ तक कि चंद्रमा गोचर से जब जब गुरु महाराज की दृष्टि में आएगा तब आपके लिए अत्यंत शुभ योग निर्माण होंगे.

उसके बाद गुरु महाराज की सप्तम दृष्टि आपके षष्ठ स्थान पर होगी. कुंडली के षष्ठ स्थान से हम स्वास्थ्य, नौकरी, कर्ज, प्रतिस्पर्धि, शत्रुओं की स्थिति को देखते है. इस स्थान पर पड़नेवाली गुरु महाराज की दृष्टि से जो जातक नौकरी में है, उन्हें उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे. आपका कर्तृत्व उचित दिशा में रहेगा. यहाँ तक कि आपका कर्तृत्व अधिक फलद्रुप होगा, ऐसा हम कह सकते है. जिन्हें कर्ज की आवश्यकता है, उन्हें वह सरलता से प्राप्त होगा. सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि इस अवधि में आपके प्रतिस्पर्धियों की मानसिकता में बदलाव होगा. वे बौद्धिक स्तर पर आपके साथ स्पर्धा करेंगे. अर्थात, जो भी करना है, वह उचित पद्धति से करना है. आपको परेशान न करते हुए वे अपनी उन्नति के लिए स्पर्धा करने का प्रयास करेंगे. शत्रु भी केवल आपके पैर खिचने का काम करते है. लेकिन गुरु महाराज की कृपादृष्टि से वे भी आपसे उचित पद्धति से ही स्पर्धा करेंगे. संक्षेप में, गुरु महाराज की इस दृष्टि से आपको अत्यंत शुभ फल प्राप्त होंगे.

उसके बाद गुरु महाराज की नवम दृष्टि आपके अष्टम स्थान पर होगी. यह दृष्टि आपकी दीर्घायु की ओर निर्देश करती है. इस अवधि में आपके लिए उत्तम आयुष्य योग निर्माण होगा. अर्थात, आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. क्योंकि षष्ठ और अष्टम स्थान पर गुरु महाराज की शुभ दृष्टि होगी. जिसके कारण आपका स्वास्थ्य अधिक से अधिक अच्छा रहेगा. अर्थात, आपको सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी परेशानियाँ हो नहीं सकती, ऐसा हम कह नहीं सकते है. क्योंकि यह चीजें तो अपने जीवन का ही एक हिस्सा होती है. अपनी दिनचर्या में थोड़ा भी बदलाव हो, तो यह परेशानियाँ उत्पन्न हो जाती है. लेकिन गत वर्ष की तुलना में कहीं न कहीं अब आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. कोई भी बड़ी परेशानी नहीं रहेगी, ऐसा हम निश्चित रुप से कह सकते है.

कुल मिलाकर, गुरु महाराज की शुभ दृष्टि आपके चतुर्थ, षष्ठ और अष्टम इन तीन स्थानों पर होगी. साथ ही, भाग्य और व्यय यह गुरु महाराज के स्वस्थान है. ऐसे कुल पाँच स्थानों पर गुरु महाराज का शुभ प्रभाव रहेगा. जिसके अत्यंत शुभ परिणाम आपको लगभग अगले १३ महीनों तक प्राप्त होंगे. इसीलिए मेष राशि की दृष्टि से यह गुरु परिवर्तन अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहेगा. आपने उसका पूरा उपयोग करना चाहिए.

उपाय की दृष्टि से विचार करें तो ज्योतिष में कई ऐसे छोटे छोटे उपाय बताए गए है, जो कोई भी सरलता से कर सकता है. उसके लिए विशेष कुछ करने की आवश्यता नहीं रहती है. साथ ही, उपाय भले ही छोटे हो, लेकिन उनके परिणाम अत्यंत बड़े होते है. शर्त केवल इतनी है कि उन्हें पूरी श्रद्धा के साथ किया जाए. उसके अनुसार मेष राशि की दृष्टि से उपायों का विचार करें तो, मेष जातकों ने गोमाता को घास खिलाना चाहिए. क्योंकि गुरु महाराज आपकी राशि के भाग्येश और व्ययेश है. गोमाता की सेवा करना धर्म माना जाता है. अपनी संस्कृति में गाय को माता और देवी माना जाता है. जिसके कारण यह उपाय आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. #astroguru #drjyotijoshi #astrogurudrjyotijoshi #astroguruma #guruparivartan

इस प्रकार गुरु परिवर्तन के मेष राशि पर होनेवाले प्रभावों को समझने के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त है, ऐसा मुझे लगता है. इसलिए आज के भाग में हम यहीं रुकते है. अगले भाग में हम अगली राशि पर गुरु परिवर्तन के होनेवाले प्रभावों का विस्तार से विश्लेषण करेंगे. इसलिए अगले भाग में हम पूनश्च अवश्य मिलेंगे.

धन्यवाद!

 

शुभम भवतु!

अँस्ट्रोगुरु डॉ ज्योती जोशी

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!