शनि परिवर्तन – मेष राशि
शनि करेंगे इच्छापूर्ति
लाभ के साथ होगी उन्नति
नमस्कार!
मै एस्ट्रो गुरुमाँ डा.ज्योति जोशी आप सभी ज्योतिष प्रेमी एवं अध्ययनकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करती हूँ. मैने पहले भी कई बार बताया है कि अप्रैल महीने में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन होनेवाला है. उसमें राहु-केतु और गुरु महाराज के राशि परिवर्तन का विश्लेषण हमने राशि के अनुसार स्वतंत्र रुप से किया है. अब हम शनि महाराज के राशि परिवर्तन का अध्ययन कर रहे है. उनके इस राशि परिवर्तन का आपकी मेष राशि पर क्या प्रभाव होगा? इस संदर्भ में अब हम विस्तार से वार्तालाप करनेवाले है. #astroguruma
ग्रहों का भ्रमण, उनकी स्थिति और उसका मनुष्य जीवन पर होनेवाला परिणाम इसका अध्ययन ज्योतिष में किया जाता है. ग्रह जब राशि परिवर्तन करते है, तो उसका बहुत बड़ा परिणाम राशि के अनुसार हर जातक पर होता है. अर्थात, वह परिणाम शुभ और अशुभ ऐसे दोनों प्रकार का हो सकता है. उसके अनुसार आनेवाले २९ अप्रैल को बहुत बड़ी घटना होनेवाली है. क्योंकि इस दिन शनि महाराज राशि परिवर्तन करनेवाले है. मकर राशि से कुंभ राशि में, इस प्रकार उनकी यात्रा होगी. उनके इस राशि परिवर्तन का आपकी राशि पर क्या प्रभाव होगा? इसे अधिक विस्तार से समझने के लिए सबसे पहले हम शनि महाराज के संदर्भ में संक्षेप में जानकारी समझ लेते है.
आपको पता होगा कि शनि महाराज सबसे धीमे ग्रह माने जाते है. ढ़ाई वर्ष तक वे एक राशि में विराजमान रहते है. जिसके कारण स्वाभाविक रुप से उनकी स्थिति का प्रभाव जातक पर ढ़ाई वर्ष तक होता है. इसीलिए उनका राशि परिवर्तन हर एक राशि के लिए सदैव महत्त्वपूर्ण होता है. शनि महाराज को कर्म एवं न्याय के कारक कहा जाता है. कर्म के अनुसार फल प्रदान करनेवाला ग्रह अर्थात, शनि भगवान है. वास्तव में, उन्हें लेकर हमारे समाज में कई प्रकार की भ्रांतियाँ फैली हुई है. भय उसके पीछे का एक बड़ा कारण हो सकता है. लेकिन जो शनि महाराज को समझ पाया, उनके कार्य करने की पद्धति को समझ पाया, वह ज्योतिष को समझ पाया, ऐसा हम कह सकते है. क्योंकि उनकी कार्य करने की पद्धति थोड़ी अलग है. फिर भी, सरल एवं सीधी कार्य पद्धति किसी ग्रह मानी जाती हो, तो वे शनि महाराज है. किसी काम को कितना भी समय क्यों न लगे, लेकिन वह काम अच्छे प्रकार से पूर्ण होना चाहिए, ऐसी उनकी मानसिकता रहती है. उसके अनुसार शनि महाराज एक राशि में लगभग ढ़ाई वर्ष तक रहते है. इसीलिए उनकी साढ़ेसाती साढ़ेसात वर्षों की होती है.
शनि महाराज की साढ़ेसाती भी एक स्वतंत्र और गहन विषय है. साढ़ेसाती का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छुट जाते है. क्योंकि एक प्रकार का भय उसके संदर्भ में फैला हुआ है. वास्तव में शनि महाराज का नाम साढ़ेसाती के बिना अधूरा रहता है. इसीलिए उस संदर्भ में भी हम संक्षेप में समझ लेते है. सबसे पहले तो सा़ढ़ेसाती अशुभ होती है, यह विषय दिमाग से निकाल दे. क्योंकि कुछ राशियों के लिए वह शुभ भी होती है. इतना ही नहीं, साढ़ेसाती में भव्यदिव्य उन्नति हो सकती है, इसके कई उदाहरण बताए जा सकते है. वास्तव में साढ़ेसाती के माध्यम से शनि महाराज हमें समझ देते है. जिम्मेदारीयों का स्विकार करना वे हमें सिखाते है. अच्छे-बूरे के प्रति वे हमें जागृत करते है. अर्थात, उसके लिए मूल कुंडली में शनि की स्थिति भी निर्भर होती है. लेकिन साढ़ेसाती के संदर्भ में कहा जाए तो कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में हो, उसके पीछे की राशि में जब शनि महाराज प्रवेश करते है, तो साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरु होता है. उनका राशि में प्रवेश होने के बाद साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुुरु होता है. साथ ही, अपनी राशि के आगे की राशि में जब वे प्रवेश करते है तब साढ़ेसाती तीसरा और अंतीम चरण शुुरु होता है. इस प्रकार तीन राशियों की उनकी यात्रा को साढ़ेसाती कहा जाता है. #bestastrologerinmaharashtra
अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि सभी राशियों पर शनि महाराज के साढ़ेसाती प्रभाव क्या एक जैसा होता है? तो ऐसा कतई हो नहीं सकता. हर राशि के लिए उनके प्रभाव दिशा अगल होती है. उसके अनुसार मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो, मेष जातकों के लिए साढ़ेसाती का प्रथम चरण संघर्षमय रहता है. दूसरा चरण उससे थोड़ा अधिक संघर्षमय रहता है. तो तीसरा चरण सौम्य, प्रगतिकारक, उन्नतिकारक, आर्थिक लाभ प्रदान करनेवाला रहता है.
शनि महाराज अब कुंभ राशि में प्रवेश करनेवाले है. जिसके कारण मकर राशि के लिए साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरु होगा. कुंभ राशि के लिए दूसरा तो मीन राशि के लिए प्रथम चरण शुरु होगा. साथ ही, धनु राशि की साढ़ेसाती से मुक्ती होगी. संक्षेप में कहा जाए तो, साढ़ेसाती का प्रभाव सभी राशियों पर विभिन्न प्रकार से होता है. वास्तव में, कुछ राशियों के लिए वह लाभकारी भी सिद्ध होती है. प्रथम चरण में यदि जातक अपनी सभी जिम्मेदारीयों को, सभी कर्तव्यों को पूर्ण करता है, तो साढ़ेसाती में होनेवाली उन्नति कल्पना से परे होती है. इस बात को सभी जातकों ने विशेष रुप से ध्यान में लेना चाहिए. उसमें भी एक विभाग यह आता है कि, जैसे जैसे नक्षत्र बदलते है, वैसे वैसे साढ़ेसाती के प्रभाव भी बदलते है. मकर राशि में जब शनि महाराज का प्रवेश हुआ तब रवि का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र था. उसके प्रभाव के अनुसार साढ़ेसाती का प्रभाव जातकों पर हुआ. उसके बाद चंद्रमा के नक्षत्र में शनि महाराज का प्रवेश हुआ. चंद्रमा मन और माता का कारक ग्रह माना जाता है. जिसके कारण जातकों का मन विचलित हुआ. उसका प्रभाव संपूर्ण मानवजाती पर हुआ. अब शनि महाराज ने धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश किया है. मंगल के इस नक्षत्र की विशेष पहचान धन प्रदान करनेवाले नक्षत्र के रुप में है. मंगल अर्थात आक्रामक और शनि का अर्थ शांति होता है. मंगल आक्रामक भूमिका लेनेवाला तो शनि शांति से मार्गक्रमण करता है. इस अंतर्विरोध की स्थिति होने के कारण मंगल के नक्षत्र में शनि महाराज जब आते है, तो दुर्घटनाएँ होने की संभावना रहती है. युद्ध की स्थिति निर्माण होती है. शांतिपूर्ण मार्ग से प्रश्नों का समाधान खोजने की अपेक्षा युद्ध करने की प्रवृत्ति निर्माण होती है. परिणाम स्वरुप, उससे स्थिति और अधिक खराब होती है.
अब हम आपकी मेष राशि पर शनि महाराज के इस राशि परिवर्तन का क्या परिणाम होगा? इसे समझ लेते है. #bestastrologerinmaharashtra
मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो शनि महाराज कुंभ राशि अर्थात आपके एकादश स्थान में प्रवेश करेंगे. कुंडली का एकादश स्थान लाभ एवं इच्छापूर्ति का स्थान माना जाता है. ज्योतिष नियमों के अनुसार लाभ स्थान में प्रवेश करनेवाला हर ग्रह अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है. उसके कारकत्व के अनुसार जातक को लाभ प्रदान करता है. उसकी इच्छापूर्ति करता है. वास्तव में, उसी उद्देश्य से वह लाभ स्थान में आता है. उसके अनुसार लाभ स्थान में प्रवेश करनेवाले शनि महाराज आपको भरपूर लाभ प्रदान करेंगे. आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करेंगे. इसीलिए आपने उस दृष्टि से अधिक प्रयास करने चाहिए. तांकि इस लाभकारी काल का सदुपयोग कर अधिक से अधिक लाभ आपको प्राप्त हो सके.
जैसे हमें पता है कि शनि महाराज की कुल तीन दृष्टियाँ होती है. स्थान के साथ ही, उनकी दृष्टियों का भी बहुत बड़ा प्रभाव जातकों पर होता है. तृतीय, सप्तम और दशम ऐसी कुल तीन दृष्टियाँ और कुंडली में दो स्थानों का स्वामीत्व उनके पास होता है. अर्थात दो स्थान और तीन दृष्टियाँ ऐसे कुल पाँच स्थानों को एक ही समय पर प्रभावित करने के सामर्थ्य शनि महाराज में होता है. मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो वे आपके दशमेश और लाभेश है. अर्थात, कर्म और लाभ इन दो स्थानों का स्वामीत्व उनके पास है. अब वे राशि परिवर्तन आपके लाभ स्थान में प्रवेश करेंगे. वहाँ से उनकी तृतीय दृष्टि आपके राशि पर, सप्तम दृष्टि आपके पंचम स्थान पर और दशम दृष्टि अष्टम स्थान पर होगी. यह तीनों दृष्टियाँ लाभ स्थान से पड़नेवाली है और शनि महाराज स्वराशि में विराजमान है. फलस्वरुप, उनके अत्यंत शुभ फल आपको प्राप्त होंगे.
लाभ स्थान के शनि महाराज आपके विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति करेंगे. गत कुछ दिनों से जो स्वप्न आपने देखे होंगे, जो भी इच्छाएँ आपके मन में होगी, उन सभी का सरलता से पूर्ण होने का यह अवधि रहेगा. लाभ स्थान से शनि महाराज की तृतीय दृष्टि आपके राशि पर होगी. जिसके कारण आपका व्यक्तित्व बलवान होगा. कर्तव्यों, जिम्मेदारीयों को पूर्ण करने की भावना आपमें विकसित होगी. उससे आपको लाभ भी प्राप्त होगा. उसके बाद शनि महाराज की सप्तम दृष्टि आपके पंचम स्थान पर होगी. कुंडली के पंचम स्थान से शिक्षा, संतती, प्रणय देखा जाता है. यह दृष्टि संतती के संदर्भ में विलंब और शिक्षा में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है. क्योंकि यहाँ शनि महाराज के आदर्श शत्रु अर्थात रवि की सिंह राशि आती है. परिणाम स्वरुप, इस दृष्टि के मेष जातकों पर नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते है. #astrogurudrjyotijoshi
उसके बाद शनि महाराज की दशम दृष्टि आपके अष्टम स्थान पर होगी. कुंडली के अष्टम स्थान से बाधाएँ, परेशानीयाँ और संघर्ष देखा जाता है. अप्रत्याशित रुप से प्राप्त होनेवाला आर्थिक लाभ भी इसी स्थान से देखा जाता है. महत्त्वपूर्ण बात है कि अष्टम स्थान का प्राकृतिक स्वामीत्व शनि महाराज के पास है. परिणाम स्वरुप, स्वास्थ्य अच्छा रहना, अप्रत्याशित धन लाभ के अवसर निर्माण होना, जैसे शुभ फल आपको प्राप्त होंगे. यह सब आपको १२ जुलै २०२२ तक प्राप्त होगा. क्योंकि उसके बाद शनि महाराज वक्री अवस्था में पूनश्च आपके दशम स्थान में प्रवेश करेंगे. शनि जैसा बड़ा ग्रह जब वक्री होकर पीछे की राशि में जाता है, तो वहाँ के अधूरे कामों का उसे स्मरण होता है. या ब्रम्हाजी उसे कहते है, कि ‘आप आगे के घर में गए, लेकिन पीछे के घर में आपके कुछ काम अधूरे छूट गए है. वे आपको पूर्ण करने होंगे.’
शनि परिवर्तन – मेष राशि
शनि करेंगे इच्छापूर्ति
लाभ के साथ होगी उन्नति
नमस्कार!
मै एस्ट्रो गुरुमाँ डा.ज्योति जोशी आप सभी ज्योतिष प्रेमी एवं अध्ययनकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करती हूँ. मैने पहले भी कई बार बताया है कि अप्रैल महीने में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन होनेवाला है. उसमें राहु-केतु और गुरु महाराज के राशि परिवर्तन का विश्लेषण हमने राशि के अनुसार स्वतंत्र रुप से किया है. अब हम शनि महाराज के राशि परिवर्तन का अध्ययन कर रहे है. उनके इस राशि परिवर्तन का आपकी मेष राशि पर क्या प्रभाव होगा? इस संदर्भ में अब हम विस्तार से वार्तालाप करनेवाले है. #astroguruma
ग्रहों का भ्रमण, उनकी स्थिति और उसका मनुष्य जीवन पर होनेवाला परिणाम इसका अध्ययन ज्योतिष में किया जाता है. ग्रह जब राशि परिवर्तन करते है, तो उसका बहुत बड़ा परिणाम राशि के अनुसार हर जातक पर होता है. अर्थात, वह परिणाम शुभ और अशुभ ऐसे दोनों प्रकार का हो सकता है. उसके अनुसार आनेवाले २९ अप्रैल को बहुत बड़ी घटना होनेवाली है. क्योंकि इस दिन शनि महाराज राशि परिवर्तन करनेवाले है. मकर राशि से कुंभ राशि में, इस प्रकार उनकी यात्रा होगी. उनके इस राशि परिवर्तन का आपकी राशि पर क्या प्रभाव होगा? इसे अधिक विस्तार से समझने के लिए सबसे पहले हम शनि महाराज के संदर्भ में संक्षेप में जानकारी समझ लेते है.
आपको पता होगा कि शनि महाराज सबसे धीमे ग्रह माने जाते है. ढ़ाई वर्ष तक वे एक राशि में विराजमान रहते है. जिसके कारण स्वाभाविक रुप से उनकी स्थिति का प्रभाव जातक पर ढ़ाई वर्ष तक होता है. इसीलिए उनका राशि परिवर्तन हर एक राशि के लिए सदैव महत्त्वपूर्ण होता है. शनि महाराज को कर्म एवं न्याय के कारक कहा जाता है. कर्म के अनुसार फल प्रदान करनेवाला ग्रह अर्थात, शनि भगवान है. वास्तव में, उन्हें लेकर हमारे समाज में कई प्रकार की भ्रांतियाँ फैली हुई है. भय उसके पीछे का एक बड़ा कारण हो सकता है. लेकिन जो शनि महाराज को समझ पाया, उनके कार्य करने की पद्धति को समझ पाया, वह ज्योतिष को समझ पाया, ऐसा हम कह सकते है. क्योंकि उनकी कार्य करने की पद्धति थोड़ी अलग है. फिर भी, सरल एवं सीधी कार्य पद्धति किसी ग्रह मानी जाती हो, तो वे शनि महाराज है. किसी काम को कितना भी समय क्यों न लगे, लेकिन वह काम अच्छे प्रकार से पूर्ण होना चाहिए, ऐसी उनकी मानसिकता रहती है. उसके अनुसार शनि महाराज एक राशि में लगभग ढ़ाई वर्ष तक रहते है. इसीलिए उनकी साढ़ेसाती साढ़ेसात वर्षों की होती है.
शनि महाराज की साढ़ेसाती भी एक स्वतंत्र और गहन विषय है. साढ़ेसाती का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छुट जाते है. क्योंकि एक प्रकार का भय उसके संदर्भ में फैला हुआ है. वास्तव में शनि महाराज का नाम साढ़ेसाती के बिना अधूरा रहता है. इसीलिए उस संदर्भ में भी हम संक्षेप में समझ लेते है. सबसे पहले तो सा़ढ़ेसाती अशुभ होती है, यह विषय दिमाग से निकाल दे. क्योंकि कुछ राशियों के लिए वह शुभ भी होती है. इतना ही नहीं, साढ़ेसाती में भव्यदिव्य उन्नति हो सकती है, इसके कई उदाहरण बताए जा सकते है. वास्तव में साढ़ेसाती के माध्यम से शनि महाराज हमें समझ देते है. जिम्मेदारीयों का स्विकार करना वे हमें सिखाते है. अच्छे-बूरे के प्रति वे हमें जागृत करते है. अर्थात, उसके लिए मूल कुंडली में शनि की स्थिति भी निर्भर होती है. लेकिन साढ़ेसाती के संदर्भ में कहा जाए तो कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में हो, उसके पीछे की राशि में जब शनि महाराज प्रवेश करते है, तो साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरु होता है. उनका राशि में प्रवेश होने के बाद साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुुरु होता है. साथ ही, अपनी राशि के आगे की राशि में जब वे प्रवेश करते है तब साढ़ेसाती तीसरा और अंतीम चरण शुुरु होता है. इस प्रकार तीन राशियों की उनकी यात्रा को साढ़ेसाती कहा जाता है. #bestastrologerinmaharashtra
अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि सभी राशियों पर शनि महाराज के साढ़ेसाती प्रभाव क्या एक जैसा होता है? तो ऐसा कतई हो नहीं सकता. हर राशि के लिए उनके प्रभाव दिशा अगल होती है. उसके अनुसार मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो, मेष जातकों के लिए साढ़ेसाती का प्रथम चरण संघर्षमय रहता है. दूसरा चरण उससे थोड़ा अधिक संघर्षमय रहता है. तो तीसरा चरण सौम्य, प्रगतिकारक, उन्नतिकारक, आर्थिक लाभ प्रदान करनेवाला रहता है.
शनि महाराज अब कुंभ राशि में प्रवेश करनेवाले है. जिसके कारण मकर राशि के लिए साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरु होगा. कुंभ राशि के लिए दूसरा तो मीन राशि के लिए प्रथम चरण शुरु होगा. साथ ही, धनु राशि की साढ़ेसाती से मुक्ती होगी. संक्षेप में कहा जाए तो, साढ़ेसाती का प्रभाव सभी राशियों पर विभिन्न प्रकार से होता है. वास्तव में, कुछ राशियों के लिए वह लाभकारी भी सिद्ध होती है. प्रथम चरण में यदि जातक अपनी सभी जिम्मेदारीयों को, सभी कर्तव्यों को पूर्ण करता है, तो साढ़ेसाती में होनेवाली उन्नति कल्पना से परे होती है. इस बात को सभी जातकों ने विशेष रुप से ध्यान में लेना चाहिए. उसमें भी एक विभाग यह आता है कि, जैसे जैसे नक्षत्र बदलते है, वैसे वैसे साढ़ेसाती के प्रभाव भी बदलते है. मकर राशि में जब शनि महाराज का प्रवेश हुआ तब रवि का उत्तराषाढ़ा नक्षत्र था. उसके प्रभाव के अनुसार साढ़ेसाती का प्रभाव जातकों पर हुआ. उसके बाद चंद्रमा के नक्षत्र में शनि महाराज का प्रवेश हुआ. चंद्रमा मन और माता का कारक ग्रह माना जाता है. जिसके कारण जातकों का मन विचलित हुआ. उसका प्रभाव संपूर्ण मानवजाती पर हुआ. अब शनि महाराज ने धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश किया है. मंगल के इस नक्षत्र की विशेष पहचान धन प्रदान करनेवाले नक्षत्र के रुप में है. मंगल अर्थात आक्रामक और शनि का अर्थ शांति होता है. मंगल आक्रामक भूमिका लेनेवाला तो शनि शांति से मार्गक्रमण करता है. इस अंतर्विरोध की स्थिति होने के कारण मंगल के नक्षत्र में शनि महाराज जब आते है, तो दुर्घटनाएँ होने की संभावना रहती है. युद्ध की स्थिति निर्माण होती है. शांतिपूर्ण मार्ग से प्रश्नों का समाधान खोजने की अपेक्षा युद्ध करने की प्रवृत्ति निर्माण होती है. परिणाम स्वरुप, उससे स्थिति और अधिक खराब होती है.
अब हम आपकी मेष राशि पर शनि महाराज के इस राशि परिवर्तन का क्या परिणाम होगा? इसे समझ लेते है. #bestastrologerinmaharashtra
मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो शनि महाराज कुंभ राशि अर्थात आपके एकादश स्थान में प्रवेश करेंगे. कुंडली का एकादश स्थान लाभ एवं इच्छापूर्ति का स्थान माना जाता है. ज्योतिष नियमों के अनुसार लाभ स्थान में प्रवेश करनेवाला हर ग्रह अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है. उसके कारकत्व के अनुसार जातक को लाभ प्रदान करता है. उसकी इच्छापूर्ति करता है. वास्तव में, उसी उद्देश्य से वह लाभ स्थान में आता है. उसके अनुसार लाभ स्थान में प्रवेश करनेवाले शनि महाराज आपको भरपूर लाभ प्रदान करेंगे. आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करेंगे. इसीलिए आपने उस दृष्टि से अधिक प्रयास करने चाहिए. तांकि इस लाभकारी काल का सदुपयोग कर अधिक से अधिक लाभ आपको प्राप्त हो सके.
जैसे हमें पता है कि शनि महाराज की कुल तीन दृष्टियाँ होती है. स्थान के साथ ही, उनकी दृष्टियों का भी बहुत बड़ा प्रभाव जातकों पर होता है. तृतीय, सप्तम और दशम ऐसी कुल तीन दृष्टियाँ और कुंडली में दो स्थानों का स्वामीत्व उनके पास होता है. अर्थात दो स्थान और तीन दृष्टियाँ ऐसे कुल पाँच स्थानों को एक ही समय पर प्रभावित करने के सामर्थ्य शनि महाराज में होता है. मेष राशि की दृष्टि से विचार करें तो वे आपके दशमेश और लाभेश है. अर्थात, कर्म और लाभ इन दो स्थानों का स्वामीत्व उनके पास है. अब वे राशि परिवर्तन आपके लाभ स्थान में प्रवेश करेंगे. वहाँ से उनकी तृतीय दृष्टि आपके राशि पर, सप्तम दृष्टि आपके पंचम स्थान पर और दशम दृष्टि अष्टम स्थान पर होगी. यह तीनों दृष्टियाँ लाभ स्थान से पड़नेवाली है और शनि महाराज स्वराशि में विराजमान है. फलस्वरुप, उनके अत्यंत शुभ फल आपको प्राप्त होंगे.
लाभ स्थान के शनि महाराज आपके विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति करेंगे. गत कुछ दिनों से जो स्वप्न आपने देखे होंगे, जो भी इच्छाएँ आपके मन में होगी, उन सभी का सरलता से पूर्ण होने का यह अवधि रहेगा. लाभ स्थान से शनि महाराज की तृतीय दृष्टि आपके राशि पर होगी. जिसके कारण आपका व्यक्तित्व बलवान होगा. कर्तव्यों, जिम्मेदारीयों को पूर्ण करने की भावना आपमें विकसित होगी. उससे आपको लाभ भी प्राप्त होगा. उसके बाद शनि महाराज की सप्तम दृष्टि आपके पंचम स्थान पर होगी. कुंडली के पंचम स्थान से शिक्षा, संतती, प्रणय देखा जाता है. यह दृष्टि संतती के संदर्भ में विलंब और शिक्षा में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती है. क्योंकि यहाँ शनि महाराज के आदर्श शत्रु अर्थात रवि की सिंह राशि आती है. परिणाम स्वरुप, इस दृष्टि के मेष जातकों पर नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते है. #astrogurudrjyotijoshi
उसके बाद शनि महाराज की दशम दृष्टि आपके अष्टम स्थान पर होगी. कुंडली के अष्टम स्थान से बाधाएँ, परेशानीयाँ और संघर्ष देखा जाता है. अप्रत्याशित रुप से प्राप्त होनेवाला आर्थिक लाभ भी इसी स्थान से देखा जाता है. महत्त्वपूर्ण बात है कि अष्टम स्थान का प्राकृतिक स्वामीत्व शनि महाराज के पास है. परिणाम स्वरुप, स्वास्थ्य अच्छा रहना, अप्रत्याशित धन लाभ के अवसर निर्माण होना, जैसे शुभ फल आपको प्राप्त होंगे. यह सब आपको १२ जुलै २०२२ तक प्राप्त होगा. क्योंकि उसके बाद शनि महाराज वक्री अवस्था में पूनश्च आपके दशम स्थान में प्रवेश करेंगे. शनि जैसा बड़ा ग्रह जब वक्री होकर पीछे की राशि में जाता है, तो वहाँ के अधूरे कामों का उसे स्मरण होता है. या ब्रम्हाजी उसे कहते है, कि ‘आप आगे के घर में गए, लेकिन पीछे के घर में आपके कुछ काम अधूरे छूट गए है. वे आपको पूर्ण करने होंगे.’
साथ ही, शनि महाराज जातक के कर्मों पर अधिक ध्यान देते है. जिसके कारण वे दशम स्थान में पूनश्च प्रवेश कर आपके कर्मों पर ध्यान देंगे. परिणाम स्वरुप, मेष जातक पूनश्च कर्म प्रधान बनेंगे. जिन जातकों का व्यवसाय या नौकरी विदेश से संबंधित है, उन्हें बहुत बड़ा लाभ प्राप्त होने का यह समय रहेगा. वास्तु से, वाहन से भी आपको लाभ प्राप्त हो सकता है. क्योंकि शनि महाराज जब आपके कर्म स्थान में होंगे, तब वे शश योग का निर्माण करेंगे. जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण राजयोग माना जाता है. दशमेश दशम स्थान में और वहाँ से उसकी दृष्टि व्यवसाय का कारक सप्तम स्थान पर होगी. फलस्वरुप, इस अवधि में आपके व्यवसाय में बहुत बड़ी वृद्धि होगी. अर्थात, गत अवधि में यदि शनि महाराज ने आपके व्यवसाय में वृद्धि न की हो, व्यवसाय में सफलता न दी हो, तो आपको सफलता देने के लिए ही वे कर्म स्थान में पूनश्च आनेवाले है. शनि महाराज अपना कार्य निश्चित रुप से पूर्ण करेंगे. इसलिए, उस दृष्टि से आपको भी अपने प्रयास बढ़ाने होंगे. #astrogurudrjyotijoshi
कुल मिलाकर, शनि महाराज का यह संपूर्ण गोचर मेष जातकों के लिए लाभकारी, उन्नतिकारक, सुखकारक सिद्ध होगा. उसका आपने पूरा लाभ उपयोग करना चाहिए. जनवरी २०२३ में वे पूनश्च मार्गी अवस्था में आएंगे. वह काल भी आपके लिए निश्चित रुप से लाभकारी रहेगा. लेकिन जब वे मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब से आपके लिए साढ़ेसाती शुरु होगी. जिससे आपको बड़ी परेशानी हो सकती है. इस बात को पहले से ही ध्यान में लेते हुए उसके पहले का जो लाभकारी काल है, उसका आपने अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और स्वयं की उन्नति साध्य करनी चाहिए. इस काल में उपायों की दृष्टि से विचार करें तो शनि महाराज को कर्मफलदाता कहा जाता है. क्योंकि वे कर्म के अनुसार फल प्रदान करते है. उनके अशुभ फलों की तीव्रता कम करने के लिए और शुभ फलों में वृद्धि करने के लिए एक ही उपाय सर्वोत्तम है, वह शिव उपासना है. उसके अनुसार शनि महाराज के इस गोचर काल में मेष जातकों ने महादेव को प्रतिदिन जलाभिषेक करना चाहिए. उसके अत्यंत शुभ परिणाम आपको प्राप्त होंगे. #astroguruma
इस प्रकार, शनि महाराज का राशि परिवर्तन मेष राशि के लिए कैसा रहेगा? यह समझने के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त है, ऐसा मुझे लगता है. इसलिए आज के भाग में हम यहीं रुकते है. अगले भाग में अगली राशि पर होनेवाले शनि महाराज के प्रभावों हम विश्लेषण करेंगे. इसलिए, अगले भाग में हम पूनश्च अवश्य मिलेंगे.
धन्यवाद!
शुभम भवतु!
अँस्ट्रोगुरु डॉ. ज्योती जोशी
साथ ही, शनि महाराज जातक के कर्मों पर अधिक ध्यान देते है. जिसके कारण वे दशम स्थान में पूनश्च प्रवेश कर आपके कर्मों पर ध्यान देंगे. परिणाम स्वरुप, मेष जातक पूनश्च कर्म प्रधान बनेंगे. जिन जातकों का व्यवसाय या नौकरी विदेश से संबंधित है, उन्हें बहुत बड़ा लाभ प्राप्त होने का यह समय रहेगा. वास्तु से, वाहन से भी आपको लाभ प्राप्त हो सकता है. क्योंकि शनि महाराज जब आपके कर्म स्थान में होंगे, तब वे शश योग का निर्माण करेंगे. जो अत्यंत महत्त्वपूर्ण राजयोग माना जाता है. दशमेश दशम स्थान में और वहाँ से उसकी दृष्टि व्यवसाय का कारक सप्तम स्थान पर होगी. फलस्वरुप, इस अवधि में आपके व्यवसाय में बहुत बड़ी वृद्धि होगी. अर्थात, गत अवधि में यदि शनि महाराज ने आपके व्यवसाय में वृद्धि न की हो, व्यवसाय में सफलता न दी हो, तो आपको सफलता देने के लिए ही वे कर्म स्थान में पूनश्च आनेवाले है. शनि महाराज अपना कार्य निश्चित रुप से पूर्ण करेंगे. इसलिए, उस दृष्टि से आपको भी अपने प्रयास बढ़ाने होंगे. #astrogurudrjyotijoshi
कुल मिलाकर, शनि महाराज का यह संपूर्ण गोचर मेष जातकों के लिए लाभकारी, उन्नतिकारक, सुखकारक सिद्ध होगा. उसका आपने पूरा लाभ उपयोग करना चाहिए. जनवरी २०२३ में वे पूनश्च मार्गी अवस्था में आएंगे. वह काल भी आपके लिए निश्चित रुप से लाभकारी रहेगा. लेकिन जब वे मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब से आपके लिए साढ़ेसाती शुरु होगी. जिससे आपको बड़ी परेशानी हो सकती है. इस बात को पहले से ही ध्यान में लेते हुए उसके पहले का जो लाभकारी काल है, उसका आपने अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और स्वयं की उन्नति साध्य करनी चाहिए. इस काल में उपायों की दृष्टि से विचार करें तो शनि महाराज को कर्मफलदाता कहा जाता है. क्योंकि वे कर्म के अनुसार फल प्रदान करते है. उनके अशुभ फलों की तीव्रता कम करने के लिए और शुभ फलों में वृद्धि करने के लिए एक ही उपाय सर्वोत्तम है, वह शिव उपासना है. उसके अनुसार शनि महाराज के इस गोचर काल में मेष जातकों ने महादेव को प्रतिदिन जलाभिषेक करना चाहिए. उसके अत्यंत शुभ परिणाम आपको प्राप्त होंगे. #astroguruma
इस प्रकार, शनि महाराज का राशि परिवर्तन मेष राशि के लिए कैसा रहेगा? यह समझने के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त है, ऐसा मुझे लगता है. इसलिए आज के भाग में हम यहीं रुकते है. अगले भाग में अगली राशि पर होनेवाले शनि महाराज के प्रभावों हम विश्लेषण करेंगे. इसलिए, अगले भाग में हम पूनश्च अवश्य मिलेंगे.
धन्यवाद!
शुभम भवतु!
अँस्ट्रोगुरु डॉ. ज्योती जोशी