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एस्ट्रो गुरुमाँ डॉ ज्योति जोशी

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 नक्षत्र और राशियों के प्रकार  

     नक्षत्र और राशियों के प्रकार  

 

हम नक्षत्रों और राशियों के प्रकारों का विस्तार से अध्ययन करने वालें  है. आकाश में बने विशिष्ट तारों के समूह ऐसी नक्षत्र की सामान्य रुप से परिभाषा की जाती है. यह तारामंडल कई वर्षों से एक ही स्थिति में स्थिर है. कुछ नक्षत्र एक ही तारों से बने है. जबकी कुछ नक्षत्र तीन, चार या उससे भी अधिक तारों के समूह से बने हुए है.

हमारी पृथ्वी एक दीर्घ गोलाकार है. जो लगातार अपने ही चारों और घूमती रहती है. पृथ्वी के दो गोलार्ध माने जाते है. एक उत्तरी गोलार्ध है और दूसरा दक्षिणी गोलार्ध है. इन गोलार्धों के मध्यबिंदूओ को उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के रुप में जाना जाता है. दक्षिण ध्रुव और उत्तरी ध्रुव से समान दूरी पर खींची गई गोलाकार रेखाओं को विषववृत्त कहा जाता है. पूर्व दिशा से पश्चिम तक का जो अंतर माना जाता है रेखांश कहते है. इसी रेखांश से जिस गोलाकार भाग में सूर्य भ्रमण करते दिखाई देता है, उसे क्रांतिवृत्त कहा जा जाता है.

यह सब जानकारी सिर्फ ज्योतिष शास्त्र के संदर्भ में नहीं है.अगर आपको याद है की स्कूल में भूगोल के अध्यापक हमें क्या पढाते थे? तो हमे समझ में आएगा की वह यही सब ज्ञान था. इसका मतलब है की आधुनिक समय में, खगोलशास्त्र ने उन चीजों को स्वीकार कीया है जो हमारे ऋषियों ने हजारों साल पहले कही हैं. आधुनिक काल की कई चीजें है जिनके द्वारा पूरी दुनिया को चिल्लाकर बताया जा सकता है की ज्योतिष एक विज्ञान है. जो आज के विज्ञान से भी अधिक उन्नत है.

हम नक्षत्रों का अध्ययन कर रहे हैं. स्थिर नक्षत्र समान दूरी पर होतें है. इसलिए सूर्य के क्रांतिवृत्त पथ पर नक्षत्र मंडल का जो प्रारंभिक स्थान होता है, वहाँ से संपूर्ण क्रांतिवृत्त के कुल २७ काल्पनिक भाग कीए गए है. इनमें से प्रत्येक भाग को एक नक्षत्र कहा जाता है. अर्थात जब चंद्रमा आकाश में परिभ्रमण कर रहा होता है, तो उसके एक भाग चलने के काल को एक नक्षत्र कहाजाता है. एक सर्कल ३६० डिग्री का होता है. उसके समान २७ भाग कीए जाने पर हर एक नक्षत्र १३ डिग्री २० कला की व्याप्ति का आता है. चंद्रमा परिभ्रमण करने वजह से इस नक्षत्र को चंद्र नक्षत्र कहा जाता है. चंद्रमा की दैनिक गति १२ से १५ डिग्री के बीच में कम  ज्यादा होती रहती है. इस वजह से उसका नक्षत्र भ्रमण भी उसी गती से कम  ज्यादा होता रहता है. पंचांग में दैनिक नक्षत्र दिए होतें है.  अब हम २७ नक्षत्रों के नाम जानेंगे.

) अश्विन २) भरणी ३) कृतिका ४) रोहिणी ५) मृग ६) आर्द्रा ७) पुनर्वसु ८) पुष्य ९) अश्लेषा १०) मघा ११) पूर्वा फाल्गुनी १२) उत्तरा फाल्गुनी १३) हस्त १४) चित्रा १५) स्वाति १६) विशाखा १७) अनुराधा १८) जेष्ठा १९) मूल २०) पूर्वाषाढा २१) उत्तराषाढा २२) श्रावण २३) धनिष्ठा २४) शततारका २५) पूर्वा भाद्रपदा २६) उत्तरा भाद्रपदा २७) रेवती

इन नक्षत्रों के अलावा, अभिजीत नाम का एक और नक्षत्र है. कींतु उसकी व्याप्ति स्वतंत्र नहीं है. उत्तराषाढा नक्षत्र का अंतिम चरण (३ डिग्री २० कला) और श्रावण नक्षत्र का पहला चरण अभिजीत नक्षत्र माना जाता है.

राशि क्या है? इसका हमने पहले अध्ययन कीया है. अब हम राशियों के प्रकारों का अध्ययन करने वालें  है. राशि की निर्मिती करते वक्त कीतनी गूढ़ता से विचार कीया गया है, इसका बोध राशियों के विभिन्न प्रकार एवं उनके गुणधर्मो को जानने से होता है. हर एक राशि का मालिक एक ग्रह होता है. उन्हें राशि का स्वामी भी कहा जाता है. हम पहले उसका अध्ययन करेंगे.

) मेष राशि का स्वामी  मंगल

) वृषभ राशि का स्वामी  शुक्र

) मिथुन राशि का स्वामी  बुध

) कर्क राशि का स्वामी  चंद्रमा

) सिंह राशि का स्वामी  रवि

) कन्या राशि का स्वामी  बुध

) तुला राशि का स्वामी  शुक्र

) वृश्चिक राशि का स्वामी  मंगल

) धनु राशि का स्वामी  बृहस्पति

१०) मकर राशि का स्वामी  शनि

११) कुंभ राशि का स्वामी  शनि

१२) मीन राशि का स्वामी  बृहस्पति

सामान्य रुप से राशियों के दो प्रकार होंते है.

१) पुरुष तत्त्व की राशि २) स्त्री तत्त्व की राशि

पुरुष तत्त्व की राशि  मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ

स्त्री तत्त्व की राशि  वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, मीन

राशियों के स्वभाव के अनुसार उन्हे इन दो प्रकारों में विभाजित कीया गया है. इसलिए पुरुष तत्त्व की राशि में थोडी कठोरता दिखाई पडती है. दुसरी ओर स्त्री तत्त्व के राशिवाले लोग दयालु और स्नेहभाव वाले होतें है.

बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल इन चार तत्त्वों में विभाजित कीया गया है. प्रत्येक तत्त्व में तीन राशियाँ होती है.

) अग्नि का मतलब स्वभाव से कठोर

) पृथ्वी का मतलब स्वभाव से समझदार

) वायु का मतलब स्वभाव से चंचल

) जल का मतलब स्वभाव से शीत

इस प्रकार तत्त्वों के अनुसार राशियों के स्वभाव स्पष्ट हो जाते है.

) अग्नि तत्त्व में मेष, सिंह, धनु राशि शामिल है.

) पृथ्वी तत्त्व में वृषभ, कन्या, मकर राशि शामिल है.

) वायु तत्त्व में मिथुन, तुला, कुंभ राशि शामिल है.

) जल तत्त्व में कर्क, वृश्चिक, मीन राशि शामिल है.

इसके अलावा राशियों के चर राशि, स्थिर राशि और द्विस्वभाव राशि यह तीन प्रकार भी होतें है.

चर राशियों में मेष, कर्क, तुला, मकर राशि शामिल है.

स्थिर राशियों में वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ राशि शामिल है.

द्विस्वभाव राशियों में मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि शामिल है.

 

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