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एस्ट्रो गुरुमाँ डॉ ज्योति जोशी

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राहु-केतु परिवर्तन – वृषभ राशि 

लाभ और उन्नति की स्थिति

परेशानी और संघर्ष से मुक्ति

 

नमस्कार!

मै एस्ट्रो गुरुमाँ डा. ज्योति जोशी आप सभी ज्योतिष प्रेमी एवं अध्ययनकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करती हूँ. ग्रहों का होनेवाला राशि परिवर्तन एवं उनके प्रभावोओं का विश्लेषण हम सदैव समय समय पर करते ही रहते है. उसके अनुसार आनेवाले अप्रैल महीने में १२ तारीख को जो राहु और केतु ग्रह का परिवर्तन होनेवाला है, उसका अब हम अध्ययन करनेवाले है. राहु ग्रह वृषभ राशि से मेष राशि में और केतु ग्रह वृश्चिक राशि से तुला राशि में प्रवेश करनेवाला है. इस राशि परिवर्तन का क्या प्रभाव रहेगा? इसका हम राशि के अनुसार विश्लेषण एवं अध्ययन करेंगे. आजके भाग में हम वृषभ राशि पर इस परिवर्तन का क्या प्रभाव रहेगा? इसे विस्तार से समझनेवाले है. #drjyotijoshi

राहु और केतु के राशि परिवर्तन का परिणाम, उसके महत्व को यदि समझना है, तो सबसे पहले इन दोनों ग्रहों की जानकारी को समझना हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है. मान लिजिए की किसी जातक की कुंडली में लग्न स्थान या चंद्रमा के साथ राहु ग्रह विराजमान है या राशि स्वामी के साथ राहु ग्रह विराजमान है, तो ऐसे जातक को विश्व की हर चीज प्राप्त करनी होती है. हर जगह पर सफलता प्राप्त करना, लगातार प्रयास करना, परिश्रम करना, उसके लिए साम, दाम, दंड, भेद की नीति का उपयोग करना, इच्छित चीज प्राप्त करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहना, उसके लिए अत्याधिक परिश्रम करने की मानसिक तैयारी जातक में राहु ग्रह विकसित करता है. इसके बिलकुल विपरीत स्थिति केतु के साथ रहती है. अर्थात, केतु ग्रह लग्न स्थान में हो, राशि स्वामी के साथ हो, तो वह कहीं न कहीं नैराश्य निर्माण करता है. विषय को छोड़ देना, अधिक परिश्रम न करना, भाग्य में होगा तो मिलेगा ऐसी कुछ भूमिका ऐसे जातक की रहती है. यह एक-दूसरे के विपरीत परिणाम मुख्य रुप से राहु और केतु के परिणामों में देखे जाते है. #astrogurudrjyotijoshi

राहु का अर्थ भौतिकता तो केतु का अर्थ आध्यात्मिकता होता है. अर्थात, राहु ग्रह भौतिक सुख-साधनों का कारक माना जाता है. तो केतु ग्रह आध्यात्म, विरक्ती, मोक्ष का कारक माना जाता है. आज का युग भौतिक सुखों से व्याप्त है. वे सभी सुख राहु के कारकत्व में आते है. गाड़ी, बंगला, पैसा, लॉटरी, जुगार आदि सभी चीजें राहु से देखी जाती है. इतना ही नहीं, आंतरराष्ट्रीय व्यापार, परदेशगमन इनका भी स्थायी कारकत्व राहु के पास है. अर्थात, किसी की कुंडली में राहु अशुभ है और उसकी महादशा शुरु है. ऐसी कुंडली यदि हमारे पास आती है, तो उस पर उपाय की दृष्टि से हम बताते है कि इस जातक को जल्द से जल्द विदेश में भेज दिया जाए. तांकि राहु के अशुभ प्रभावों की तीव्रता और दुष्प्रभाव कम हो सके. साथ ही, जातक की उन्नति भी हो सके.

आज के युग में जातक को जो जो चाहिए, वह सभी देने की प्रवृत्ति राहु ग्रह के पास है. केतु के संदर्भ में कहा जाए, तो इसके बिलकुल विपरीत जो भी चीजें होती है, वे सभी केतु के कारकत्व में आती है, ऐसा हम कह सकते है. क्योंकि केतु आध्यात्मिक प्रवृत्ति का ग्रह माना जाता है. जातक की आध्यात्मिक उन्नति केतु से ही देखी जाती है. उसे मोक्ष का कारक ग्रह कहा जाता है. इसीलिए राहु के जिनता ही केतु भी महत्त्वपूर्ण होता है. क्योंकि मनुष्य का अंतिम लक्ष्य केवल मोक्ष को प्राप्त करना होता है. मनुष्य को आध्यात्म के पथ पर लेने जाने का कार्य केतु करता है. किसी जातक की कुंडली में यदि केतु ग्रह प्रबल हो, तो वह जातक संसार से, जीवन के सभी सुखों से दूर जाता है. वह सभी से अलिप्त रहता है. तो ऐसे राहु और केतु का १२ अप्रैल को राशि परिवर्तन होनेवाला है. राहु ग्रह वृषभ राशि से मेष राशि में और केतु ग्रह वृश्चिक राशि से तुला राशि में प्रवेश करेगा. उनके इस परिवर्तन का वृषभ राशि पर क्या परिणाम होगा? इसे अब हम विस्तार से समझनेवाले है.

      वृषभ राशि की दृष्टि से विचार करें तो राहु अब तक आपकी राशि में ही विराजमान था. अब वह आपके व्यय स्थान में प्रवेश करेगा. जिसके कारण राहु-केतु का यह परिवर्तन आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. गत देढ़ वर्ष में आपने मानसिक समस्याओं का सामना किया है. पारिवारिक विवादों का सामना किया है. इन सब से आपको अब मुक्ति प्राप्त होगी. क्योंकि आपकी राशि में विराजमान राहु राशि परिवर्तन कर आपके व्यय स्थान में प्रवेश करेगा. उसकी यात्रा राशि से व्यय स्थान में होने के कारण उसके अशुभ परिणामों की तीव्रता भी कम होगी. अर्थात, व्यय स्थान के राहु को भी अधिक शुभ माना नहीं जा सकता है. लेकिन गत देढ़ वर्ष में आपने जो संघर्ष किया है, उसकी तीव्रता अब कहीं न कहीं कम होनेवाली है. यह चीज आपके लिए लाभकारी रहेगी. क्योंकि वह राहु ग्रह है. उसके परिणामों की तीव्रता कम होना भी लाभकारी कहा जा सकता है. उसके अनुसार वृषभ जातकों के लिए यह राहु-केतु का राशि परिवर्तन लाभकारी सिद्ध होगा. #astrogurudrjyotijoshi

इस परिवर्तन के अनुसार आपके व्यय स्थान में राहु और षष्ठ स्थान में केतु का आगमन होगा. उनकी यह स्थिति आपको एक-दूसरे के विपरीत परिणाम देगी. व्यय स्थान के राहु से आपके खर्च में अप्रत्याशित रुप से वृद्धि होना, यात्राएँ ब़ढ़ना, यात्रा पर भी बहुत खर्च होना, जैसे परिणाम सामने आ सकते है. अर्थात, यह राहु आपको कुछ चीजों में लाभ भी निश्चित रुप से प्रदान करेगा. जैसा हमें ज्ञात है कि राहु को पंचम, सप्तम और नवम ऐसी कुल तीन दृष्टि होती है. उनका भी बहुत बड़ा प्रभाव जातक पर होता है. उसके अनुसार राहु की पंचम दृष्टि आपके चतुर्थ स्थान पर अर्थात वास्तु, वाहन के स्थान पर होगी. सप्तम दृष्टि षष्ठ स्थान पर अर्थात, नौकरी, कर्ज और प्रतिस्पर्धियों के स्थान पर होगी. साथ ही, नवम दृष्टि अष्टम स्थान अर्थात, जीवन प्रदान करनेवाले स्थान पर होगी. राहु की इन तीनों दृष्टियों के शुभ-अशुभ परिणाम आपको निश्चित रुप से प्राप्त होंगे. कुल मिलाकर प्रतिस्पर्धि आपको परेशान करने का पूरा प्रयास करेंगे. आपके मार्ग में बाधाएँ, कठिनाईयाँ उत्पन्न करने का प्रयास करेंगे. यह परेशानी होने के बाद भी उनका सामना कर विजय प्राप्त करने का सामर्थ्य राहु के प्रभाव से आपमें निर्माण होगा. अर्थात, भले ही संघर्ष हो, लेकिन उसमें आपको सफलता निश्चित रुप से प्राप्त होगी.

राहु-केतु परिवर्तन – मेष राशि

उसके बाद अष्टम स्थान पर पड़नेवाली दृष्टि के कारण आपके लिए अचानक धनलाभ के योग निर्माण होंगे. क्योंकि कुंडली के अष्टम स्थान से अचानक रुप से प्राप्त होनेवाला धनलाभ भी देखा जाता है. साथ ही, जो जातक संशोधन कार्य में है, उनके लिए भी राहु की यह दृष्टि अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी. फलस्वरुप, जो जातक गत कई दिनों से, या वर्षों से संशोधन कार्य में है, उन्हें अचानक रुप से उचित दिशा प्राप्त होगी. उन्होंने इसका उचित उपयोग किया तो हो सकता है कि उन्हें सफलता भी प्राप्त हो. कुल मिलाकर, राहु का यह परिवर्तन आपके लिए अत्यंत लाभकारी रहेगा. आपने उसका पूरा उपयोग करना चाहिए. #astrogurudrjyotijoshi

राहु और केतु यह दो दिशाओं में रहनेवाले दो बिंदू होने के कारण ऐसा होता है कि यदि राहु जातक को शुभ परिणाम देगा तो उसी समय केतु जातक के लिए अशुभ रहेगा. यदि केतु शुभ है तो राहु से जातक को अशुभ फलों की प्राप्ति होगी. संक्षेप में, प्राकृतिक कारकत्व के अनुसार राहु और केतु के फल एक – दूसरे के विपरीत होते है. लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है कि यह दोनों ग्रह एक ही समय पर जातक को शुभ फल प्रदान करते है. ऐसी स्थिति बहुत कम ही बनती है. जो इस अवधि में वृषभ जातकों के लिए बननेवाली है. अर्थात, वृषभ जातकों को राहु के साथ केतु से भी शुभ फलों की प्राप्ति होगी. क्योंकि राहु राशि से व्यय स्थान में प्रवेश करेगा. परिणाम स्वरुप, वह थोडा शुभ होगा. साथ ही, केतु सप्तम स्थान से षष्ठ स्थान में प्रवेश करेगा. कुंडली के षष्ठ स्थान को उपयच स्थान माना जाता है. ज्योतिष नियमों के अनुसार किसी भी पाप ग्रह को कुंडली के तृतीय, षष्ठ, दशम और एकादश यह उपचय स्थान विशेष रुप से अच्छे लगते है. उपचय स्थानों में पाप ग्रहों द्वारा जातक को बहुत अच्छे फलों की प्राप्ति होती है. उसके अनुसार आपके षष्ठ स्थान में प्रवेश करनेवाले केतु से आपको शुभ फल निश्चित रुप से प्राप्त होंगे. कितने भी प्रतिस्पर्धि क्यों न आए, वे आपको कितना भी परेशान करने का प्रयास क्यों न करें, फिर भी, आप उन्हें पराजित करेंगे. साथ ही, जीवन में उन्नति की ओर आपका मार्गक्रमण शुरु रहेगा.

      संक्षेप में, राहु और केतु इन दोनों ग्रहों का राशि परिवर्तन वृषभ जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा, ऐसा हम कह सकते है. गत देढ़ वर्ष से आनेवाला देढ़ वर्ष आपके लिए लाभकारी, शुभ फलदायी रहेगा. उसी समय आपकी राशि के लिए योगकारक शनि महाराज आपके दशम स्थान में प्रवेश करेंगे. कुंडली का दशम स्थान भी उपयच स्थान होने के कारण शनि महाराज को वह अच्छा लगता है. साथ ही, वहाँ कुंभ राशि आती है, जो शनि महाराज की स्वराशि है. उसके भी आपको शुभ फल प्राप्त होंगे. साथ ही, १३ अप्रैल को गुरु महाराज आपके लाभ स्थान में प्रवेश करेंगे. उनकी यह स्थिति आपके लिए अत्यंत लाभकारी रहेगी. क्योंकि ग्यारवा गुरु अत्यंत लाभकारी माना जाता है. स्वाभाविक रुप से, उनसे भी आपको अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होगी. कुल मिलाकर इन सभी के फलों का विचार करें तो वृषभ जातकों के लिए आनेवाले समय में अत्यंत शुभ अवसर निर्माण होंगे, ऐसा हम कह सकते है. #drjyotijoshi

वैसे भी, २०२२ इस वर्ष का राशिफल कथन करते समय हमने बार बार बताया था कि अप्रैल महीने के बाद का अवधि वृषभ जातकों के लिए विशेेष भाग्यकारी सिद्ध होगा. उसका कारण ही यहीं था कि अप्रैल में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन होनेवाला है. जिसके कारण सभी ग्रहों के प्रभावों की दिशा में बहुत बड़ा बदलाव होगा. परिणाम स्वरुप, गत कुछ वर्षों से सभी के लिए जो संघर्ष की स्थिति बनी है, वह दूर होगी और उन्नति की ओर आप आगे बढ़ते रहोगे. उसमें वृषभ जातकों को राहु-केतु परिवर्तन के अत्यंत शुभ प्रभाव प्राप्त होंगे. परिणाम स्वरुप, इस लाभकारी, भाग्यकारी अवधि का आपको पूरा उपयोग करना चाहिए.

राहु-केतु के राशि परिवर्तन का वृषभ राशि पर होनेवाला प्रभाव समझने के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त है, ऐसा मुझे लगता है. इसलिए आज के भाग में हम यहीं रुकते है. अगले भाग में अगली राशि पर होनेवाले प्रभावों का हम विस्तार से अध्ययन एवं विश्लेषण करेंगे. इसलिए अगले भाग में हम पूनश्च अवश्य मिलेंगे.

धन्यवाद!

 शुभम भवतु! 

अँस्ट्रोगुरु डॉ ज्योती जोशी

 

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