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एस्ट्रो गुरुमाँ डॉ ज्योति जोशी

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शनि परिवर्तन – कन्या राशि

 

जिम्मेदारीयों का रखों ध्यान

मिलेगा लाभ और समाधान

 

नमस्कार!

मै एस्ट्रो गुरुमाँ डा.ज्योति जोशी आप सभी ज्योतिष प्रेमी एवं अध्ययनकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करती हूँ. मैने पहले भी कई बार बताया है कि अप्रैल महीने में सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन होनेवाला है. उसमें राहु-केतु और गुरु महाराज के राशि परिवर्तन का विश्लेषण हमने राशि के अनुसार स्वतंत्र रुप से किया है. अब हम शनि महाराज के राशि परिवर्तन का अध्ययन कर रहे है. उनके इस राशि परिवर्तन का आपकी कन्या राशि पर क्या प्रभाव होगा? इस संदर्भ में अब हम विस्तार से वार्तालाप करनेवाले है.

ग्रहों का भ्रमण, उनकी स्थिति और उसका मनुष्य जीवन पर होनेवाला परिणाम इसका अध्ययन ज्योतिष में किया जाता है. ग्रह जब राशि परिवर्तन करते है, तो उसका बहुत बड़ा परिणाम राशि के अनुसार हर जातक पर होता है. अर्थात, वह परिणाम शुभ और अशुभ ऐसे दोनों प्रकार का हो सकता है. उसके अनुसार आनेवाले २९ अप्रैल को बहुत बड़ी घटना होनेवाली है. क्योंकि इस दिन शनि महाराज राशि परिवर्तन करनेवाले है. मकर राशि से कुंभ राशि में, इस प्रकार उनकी यात्रा होगी. उनके इस राशि परिवर्तन का आपकी राशि पर क्या प्रभाव होगा? इसे अधिक विस्तार से समझने के लिए सबसे पहले हम शनि महाराज के संदर्भ में संक्षेप में जानकारी समझ लेते है. #astrogurudrjyotijoshi

२०२२ इस वर्ष का जब हम विचार करते है और अप्रैल महीने में होनेवाले सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन को देखते है, तो कहीं न कहीं एक युग परिवर्तन का प्रभाव हमें दिखाई देता है. विशेष बात है कि होनेवाले राशि परिर्वतन का अध्ययन हम करते है, तो रवि ग्रह मेष राशि में अच्च अवस्था को प्राप्त होगा. लेकिन वहीं राहु ग्रह भी उपस्थित रहेगा. जिसके कारण रवि को ग्रहण लगेगा. गुरु ग्रह मीन राशि में होगा. जो उसकी स्वराशि है. उसी समय वहाँ शुक्र भी उच्च अवस्था को प्राप्त होगा. अर्थात गुरु और शुक्र दोनों मीन राशि में लेकिन राहु और शनि जैसे दो पाप ग्रहों की कर्तरी में फंस जाएंगे. प्राकृतिक कुंडली का लाभ स्थान हम देखते है तो शनि महाराज कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. जो उनकी मूल त्रिकोण राशि है. जिसके कारण वे अत्यंत बलवान होंगे. लेकिन उसी समय वहाँ उनका आदर्श शत्रु मंगल ग्रह भी होगा. कुल मिलाकर, हर ग्रह की स्थिति को देखा जाए या प्राकृतिक कुंडली का विचार किया जाए तो कहीं न कहीं संकट की, परेशानी की स्थिति निर्माण होने की संभावना है. फिर भी, इस स्थिति के कुछ शुभ परिणाम अवश्य होंगे.

शनि महाराज की साढ़ेसाती भी एक स्वतंत्र और गहन विषय है. साढ़ेसाती का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों के पसीने छुट जाते है. क्योंकि एक प्रकार का भय उसके संदर्भ में फैला हुआ है. वास्तव में शनि महाराज का नाम साढ़ेसाती के बिना अधूरा रहता है. इसीलिए उस संदर्भ में भी हम संक्षेप में समझ लेते है. सबसे पहले तो सा़ढ़ेसाती अशुभ होती है, यह विषय दिमाग से निकाल दे. क्योंकि कुछ राशियों के लिए वह शुभ भी होती है. इतना ही नहीं, साढ़ेसाती में भव्यदिव्य उन्नति हो सकती है, इसके कई उदाहरण बताए जा सकते है. वास्तव में साढ़ेसाती के माध्यम से शनि महाराज हमें समझ देते है. जिम्मेदारीयों का स्विकार करना वे हमें सिखाते है. अच्छे-बूरे के प्रति वे हमें जागृत करते है. अर्थात, उसके लिए मूल कुंडली में शनि की स्थिति भी निर्भर होती है. लेकिन साढ़ेसाती के संदर्भ में कहा जाए तो कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में हो, उसके पीछे की राशि में जब शनि महाराज प्रवेश करते है, तो साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरु होता है. उनका राशि में प्रवेश होने के बाद साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुुरु होता है. साथ ही, अपनी राशि के आगे की राशि में जब वे प्रवेश करते है तब साढ़ेसाती तीसरा और अंतीम चरण शुुरु होता है. इस प्रकार तीन राशियों की उनकी यात्रा को साढ़ेसाती कहा जाता है.

अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि सभी राशियों पर शनि महाराज के साढ़ेसाती प्रभाव क्या एक जैसा होता है? तो ऐसा कतई हो नहीं सकता. हर राशि के लिए उनके प्रभाव दिशा अगल होती है. उसके अनुसार कन्या राशि की दृष्टि से विचार करें तो कन्या जातकों लिए साढ़ेसाती का प्रथम चरण बड़ा खर्चिला होता है. शनि महाराज आपको जिम्मेदारीयाँ पूर्ण करने के लिए कहते है. उन्हें यदि आप पूरा करते हो, तो दूसरे चरण में आपकी उन्नति को कोई रोक नहीं सकता. साथ ही, आपका व्यक्तित्व भी प्रगल्भ होता है. उचित दिशा में आप आगे बढ़ते रहते हो और तीसरे चरण में उन्नति की नई उचाँईयों को छूते हो. कुल मिलाकर कन्या जातकों के लिए शनि महाराज की साढ़ेसाती लाभकारी सिद्ध होती है. #astrogurudrjyotijoshi

शनि महाराज अब कुंभ राशि में प्रवेश करनेवाले है. जिसके कारण मकर राशि के लिए साढ़ेसाती का अंतिम चरण शुरु होगा. कुंभ राशि के लिए दूसरा तो मीन राशि के लिए प्रथम चरण शुरु होगा. साथ ही, धनु राशि की साढ़ेसाती से मुक्ती होगी. संक्षेप में कहा जाए तो, साढ़ेसाती का प्रभाव सभी राशियों पर विभिन्न प्रकार से होता है. वास्तव में, कुछ राशियों के लिए वह लाभकारी भी सिद्ध होती है. प्रथम चरण में यदि जातक अपनी सभी जिम्मेदारीयों को, सभी कर्तव्यों को पूर्ण करता है, तो साढ़ेसाती में होनेवाली उन्नति कल्पना से परे होती है. इस बात को सभी जातकों ने विशेष रुप से ध्यान में लेना चाहिए.

शनि महाराज सामान्य रुप से एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहते है. लेकिन हर वर्ष वे कुछ समय के लिए वक्री भी होते है. उसके अनुसार १२ जुलै २०२२ को वे पूनश्च राशि परिवर्तन कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. शनि जैसा आगे आया हुआ ग्रह जब पीछे की राशि में जाता है, तो उसका एक विशेष उद्देश्य होता है. उसे स्मरण होता है कि अपने कुछ काम अधूरे छूट गए है. उन्हें पूर्ण करना आवश्यक है. उसी के लिए वह वक्री होकर पीछे की राशि में प्रवेश करता है. अर्थात शनि के मकर गोचर का प्रभाव यदि किसी को पूर्ण रुप से न मिला हो, फिर वह प्रभाव कुंडली के अनुसार शुभ या अशुभ हो सकता है, उस प्रभाव को पूर्ण करने के लिए शनि महाराज १२ जुलै २०२२ को पूनश्च मकर राशि में प्रवेश करेंगे. महत्त्वपूर्ण बात है कि जनवरी तक वे वहीं विराजमान रहेंगे. उससे भी महत्त्वपूर्ण चीज है कि उनका यह पूरा गोचर धनिष्ठा नक्षत्र से होगा. #astrogurudrjyotijoshi

अब हम आपकी कन्या राशि पर शनि महाराज के इस राशि परिवर्तन का क्या परिणाम होगा? इसे समझ लेते है.


कन्या राशि की दृष्टि से विचार करें तो आपके लिए शनि महाराज की स्थिति अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है. क्योंकि वे आपकी राशि के कारक ग्रह माने जाते है. उनसे आपको अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते है. गत काल में उनका गोचर आपके पंचम स्थान से शुरु था. अब वे राशि परिवर्तन कर आपके षष्ठ स्थान मे प्रवेश करेंगे. वास्तव में आपका राशि स्वामी बुध ग्रह जिसे युवराज कहा जाता है और शनि महाराज को वृद्ध कहा जाता है. हम दादा और पोता इस पद्धति से भी विचार कर सकते है. इसीलिए उनमें मित्रता के सुर जुड़ते है. कुल मिलाकर विचार करें तो कन्या राशि के लिए शनि महाराज का गोचर अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. उनका मकर राशि का गोचर भी आपके लिए लाभकारी था. अब वे २९ अप्रैल को राशि परिवर्तन कर आपके षष्ठ स्थान में प्रवेश करेंगे. वहाँ से उनके शुभ फलों में अधिक वृद्धि होगी. क्योंकि षष्ठ स्थान को उपचय स्थान कहा जाता है. जो वृद्धि करता है. विशेष बात है कि शनि महाराज के स्वभाव के अनुसार उसकी वृद्धि होती है. फलस्वरुप, कई विषयों में आपकी उन्नति होगी.

ज्योतिष नियमों के अनुसार कुंडली का उपचय स्थान पाप ग्रहों को अच्छा लगता है. शनि महाराज को भी वह विशेष रुप से अच्छा लगता है. फलस्वरुप, शनि महाराज वहाँ से आपको शुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य होंगे. उसमें मुख्य रुप से जो जातक गत कुछ महीनों से नौकरी में पदोन्नति की प्रतीक्षा में थे, उन्हें वह शनि महाराज की कृपा से अप्रत्याशित रुप में प्राप्त होगी. शत्रुओं पर आप सरलता से विजय प्राप्त करेंगे. इस अवधि में आपको शिक्षा में सफलता प्राप्त होगी. आपके कर्तृत्व में भी बड़ी वृद्धि होगी. क्योंकि शनि महाराज कुंभ राशि में प्रवेश करनेवाले है. जो उनकी पसंदीदा और मूल त्रिकोण राशि है. उनकी यात्रा धनिष्ठा नक्षत्र से होगी. जो मंगल का नक्षत्र है. जिसके कारण अप्रत्याशित रुप से कोई संकट उत्पन्न होना, विपरीत घटना घड़ना, यह प्रभाव भी हो सकता है. लेकिन कन्या राशि के लिए शनि महाराज कारक तो मंगल अकारक माना जाता है. परिणाम स्वरुप, शनि का प्रभाव निश्चित रुप से अधिक रहेगा.

जैसा हमे पता है कि शनि महाराज को तृतीय, सप्तम और दशम ऐसी कुल तीन दृष्टियाँ हेती है. जो अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है. अर्थात, कुंडली के दो स्थान और तीन दृष्टियाँ ऐसे कुल पाँच स्थानों को शनि महाराज एक ही समय पर प्रभावित करते है. उसके अनुसार षष्ठ स्थान से शनि महाराज की तृतीय दृष्टि आपके अष्टम स्थान पर होगी. कुंडली के अष्टम स्थान से अप्रत्याशित रुप से प्राप्त होनेवाला धनलाभ देखा जाता है. उसके अनुसार शनि महाराज की दृष्टि से आपको धनलाभ प्राप्त होगा. आपने यदि पहले जमीन ली हो या कोई प्लॉट लिया हो तो उससे आपके लिए धनलाभ के अवसर निर्माण होंगे. #drjyotijoshi

उसके बाद शनि महाराज की सप्तम दृष्टि आपके व्यय स्थान पर होगी. उनका एक मूल स्वभाव है. वे हमें सदैव सूचित करते है कि आप अपनी जिम्मेदारीयों को पूरा करें. अपने कर्तव्यों को पूरा करें. तभी मै आपको शुभ फल प्रदान करने लिए बाध्य रहूँगा. उसके अनुसार शनि महाराज आपको पूनश्च सूचित करते है कि आपना कर्म उचित पद्धति से करें. अपनी सभी जिम्मेदारीयों, सभी कर्तव्यों को पूरा करें. ऐसा करने पर शनि महाराज आपको षष्ठ स्थान से भरपूर शुभ फल निश्चित रुप से प्रदान करेंगे. महत्त्वपूर्ण बात है कि उससे आपको समाधान भी प्राप्त होगा. इसीलिए आपने इस अवधि में अपना पूरा ध्यान जिम्मेदारीयों को पूर्ण करने पर लगाना चाहिए. यह सलाह आपको दी जाती है.

उसके बाद शनि महाराज की दशम दृष्टि आपके तृतीय स्थान पर होगी. कुंडली के तृतीय स्थान से परिश्रम, पराक्रम, बंधुसौख्य, पड़ोसी देखे जाते है. इस स्थान पर पड़नेवाली शनि महाराज की शुभ दृष्टि से आपको बंधुसौख्य की प्राप्ति होगी. इस अवधि में आप छोटी-बड़ी यात्राएँ कर सकते है और उनसे भी आपको लाभ प्राप्त हो सकता है. पड़ोसीयों से आपका सौख्य बढ़ेगा. आपके कर्म की, परिश्रम की दिशा में अनुशासन आएगा. उससे उन्नति के मार्ग आपके लिए प्रशस्त होंगे. अर्थात, यह सब २९ अप्रैल से १२ जुलाई तक के अवधि में होगा. उसके बाद शनि महाराज वक्री अवस्था में पूनश्च मकर राशि में प्रवेश करेंगे. वे पीछे की राशि में जाएंगे. इसका अर्थ है कि वहाँ उनके कुछ काम अधूरे छूट गए है. उन्हें पूरा करने के लिए वे पूनश्च आपके पंचम स्थान में प्रवेश करेंगे.

पंचम स्थान के शनि महाराज के शुभ फलों का अनुभव आपने गत काल में लिया है. उनका जब मकर राशि में आगमन हुआ था, उस समय हमने विभिन्न वीडियों के माध्यम से उनके फलों का विश्लेषण किया था. उसका अनुभव आपने निश्चित रुप से लिया होगा. उसके बाद शनि महाराज मार्गी अवस्था में पूनश्च कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. १२ जुलाई २०२२ से जनवरी २०२३ तक का वह अवधि रहेगा. अर्थात अब २९ अप्रैल से १२ जुलाई के काल में आपको जो फल प्राप्त होनेवाले है, उन्हीं फलों में जनवरी २०२३ के बाद वृद्धि होगी. हम ऐसा भी कह सकते है कि जनवरी २०२३ में आपको जो फल प्राप्त होंगे, उनका एक छोटासा ट्रेलर अब आपको देखने को मिलनेवाला है. #drjyotijoshi

कुल मिलाकर शनि महाराज का यह गोचर कन्या राशि के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा. वास्तव में अब होनेवाले सभी गोचर कन्या राशि के लिए लाभकारी रहेंगे. क्योंकि षष्ठ स्थान में शनि महाराज और सप्तम स्थान में गुरु महाराज द्वारा हंस योग की निर्मिती होगी. जिसके अत्यंत शुभ फल आपको निश्चित रुप से प्राप्त होंगे. लेकिन उसी समय अष्टम स्थान में प्रवेश करनेवाला राहु कहीं न कहीं नकारात्मकता निर्माण कर सकता है. लेकिन ग्रह सदैव भ्रमण करते है. उसमें कुछ शुभ परिणाम देते है तो कुछ ग्रह संघर्ष का निर्माण करते है. कोई भी ग्रह कभी भी पूर्ण रुप से शुभ या पूर्ण रुप से अशुभ नहीं होता. वह अपने स्थान के अनुसार, दृष्टि के अनुसार, कारकत्व के अनुसार और कुंडली में उनके भावेशत्व के अनुसार फल प्रदान करता है.

इस दृष्टि से विचार करें तो राशि के लिए शनि महाराज पंचमेश और षष्ठेश है. अब वे राशि परिवर्तन कर आपके षष्ठ स्थान में प्रवेश करेंगे. उनकी स्थिति से आपको अत्यंत शुभ फल प्राप्त होंगे. वहाँ से उनकी दृष्टि आपके अष्टम, व्यय और तृतीय स्थान पर होगी. इन दृष्टियों से भी आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी. कुल मिलाकर, कुंडली के पाँच स्थानों पर शनि महाराज का प्रभाव दिखाई देगा.

इस काल में उपायों की दृष्टि से विचार करें तो शनि महाराज को कर्मफलदाता कहा जाता है. क्योंकि वे कर्म के अनुसार फल प्रदान करते है. उनके अशुभ फलों की तीव्रता कम करने के लिए और शुभ फलों में वृद्धि करने के लिए एक ही उपाय सर्वोत्तम है, वह शिव उपासना है. उसके अनुसार शनि महाराज के इस गोचर काल में कन्या जातकों ने महादेवजी का मंदीर और परिसर की स्वच्छता करनी चाहिए. वहाँ सेवा देनी चाहिए. उसके अत्यंत शुभ परिणाम आपको प्राप्त होंगे.

इस प्रकार, शनि महाराज का राशि परिवर्तन कन्या राशि के लिए कैसा रहेगा? यह समझने के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त है, ऐसा मुझे लगता है. इसलिए आज के भाग में हम यहीं रुकते है. अगले भाग में अगली राशि पर होनेवाले शनि महाराज के प्रभावों हम विश्लेषण करेंगे. इसलिए, अगले भाग में हम पूनश्च अवश्य मिलेंगे.

धन्यवाद!

 

शुभम भवतु!

अँस्ट्रोगुरु डॉ. ज्योती जोशी

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